
भारत में सोने-चांदी के भाव इन दिनों हर दिन नई दिशा लेते दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले तक जहाँ गोल्ड ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए ऊँचाई छुई थी, अब वहीं इसकी कीमतें फिर नीचे आने लगी हैं। अगर आप सोना या चांदी खरीदने की सोच रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि अभी मार्केट में रेट क्या चल रहा है और यह गिरावट क्यों आई है।
आज का Gold और Silver Rate
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के ताज़ा अपडेट के मुताबिक, सोने की कीमत में करीब ₹500 की गिरावट आई है।
- 24 कैरेट गोल्ड अब लगभग ₹97,370 प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है।
- 22 कैरेट गोल्ड का भाव ₹94,500 प्रति 10 ग्राम के आसपास है।
वहीं, सिल्वर (Silver) में बहुत बड़ा बदलाव नहीं दिखा, इसका भाव करीब ₹1,11,720 प्रति किलो पर स्थिर है।
प्रमुख शहरों में आज के रेट
यहाँ कुछ बड़े शहरों में आज सोने-चांदी के भाव दिए गए हैं:
शहर | 24 कैरेट सोना (₹/10 ग्राम) | 22 कैरेट सोना (₹/10 ग्राम) | चांदी (₹/किग्रा) |
---|---|---|---|
दिल्ली | 97,820 | 90,150 | 1,10,530 |
चंडीगढ़ | 98,120 | 90,130 | 1,11,100 |
लखनऊ | 98,230 | 90,230 | 1,12,220 |
पटना | 98,830 | 90,105 | 1,11,420 |
हैदराबाद | 98,280 | 90,205 | 1,10,130 |
मुंबई | 98,130 | 90,830 | 1,11,320 |
क्यों आई सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट?
मार्केट एनालिस्ट्स के अनुसार, कीमतों में यह गिरावट कई ग्लोबल और घरेलू फैक्टर्स के कारण देखने को मिली है।
- Federal Reserve की ब्याज नीतियाँ: अमेरिका की सेंट्रल बैंक अगर ब्याज दरों में कोई बदलाव करती है या बदलाव की उम्मीद बनती है, तो उसका सीधा असर गोल्ड प्राइस पर पड़ता है।
- डॉलर की चाल: जब यूएस डॉलर मजबूत होता है तो गोल्ड की कीमतें नीचे आने लगती हैं, जबकि डॉलर कमजोर पड़ने पर सोना महँगा हो जाता है।
- डोमेस्टिक डिमांड और सप्लाई: फेस्टिव सीजन और वेडिंग टाइम में मांग बढ़ती है, जबकि ऊँचे भाव पर निवेशक मुनाफा बुक कर लेते हैं जिससे कीमतों में गिरावट आती है।
- रुपया और इम्पोर्ट: भारत में ज्यादातर सोना इम्पोर्ट होता है, इसलिए रुपया कमजोर होने से इसकी कीमतें बढ़ती हैं और रुपया मजबूत होने पर गिर सकती हैं।
निवेशकों के लिए क्या है संकेत?
अगर आप लॉन्ग-टर्म निवेशक हैं तो यह समय स्मार्ट खरीदी का हो सकता है। हालांकि, शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को मार्केट की वोलैटिलिटी को ध्यान में रखते हुए थोड़ा सतर्क रहना चाहिए। आने वाले दिनों में फेड की पॉलिसी और ग्लोबल इकॉनमी के रुझान इस ट्रेंड को और प्रभावित करेंगे।